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G7 सम्मेलन में मोदी को न्योता देने पर उठा विवाद, निज्जर हत्या पर चुप रहे कनाडा के पीएम मार्क कार्नी

G7 Summit Canada 2025: इस साल G7 शिखर सम्मेलन का आयोजन कनाडा में होने जा रहा है, जिसमें कई बड़े वैश्विक नेताओं के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है। यह निमंत्रण खुद कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने दिया, जिसे पीएम मोदी ने स्वीकार भी कर लिया है। लेकिन इस आमंत्रण को लेकर कनाडा में एक नया विवाद खड़ा हो गया है।खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर लगाए गए आरोपों की पृष्ठभूमि में जब पत्रकारों ने कार्नी से तीखे सवाल किए, तो उन्होंने इस विषय पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। उनकी चुप्पी को लेकर विपक्षी दलों और मीडिया में नाराज़गी देखी जा रही है।

निज्जर केस पर चुप्पी, भारत को बुलाने पर साफ बयान

जब एक कनाडाई रिपोर्टर ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री मोदी को G7 जैसे मंच पर बुलाना उचित है, जब निज्जर हत्याकांड की जांच अधूरी है और भारत पर संदेह जताया गया है—तो इस पर कार्नी ने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। उन्होंने केवल इतना कहा कि भारत, वैश्विक कूटनीति और अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।उन्होंने दो टूक जवाब में कहा कि “भारत को ऐसे वैश्विक मंचों से अलग नहीं किया जा सकता। आज दुनिया को मिलकर बड़े मुद्दों पर चर्चा करनी है, और भारत इसमें एक जरूरी आवाज है।”

राजनीति बनाम रणनीति

हालांकि, कार्नी की ओर से निज्जर मामले पर चुप्पी साध लेना कुछ लोगों को खटक रहा है। कई कनाडाई पत्रकारों और सिविल सोसाइटी प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार को इस संवेदनशील मामले में पारदर्शिता रखनी चाहिए। लेकिन दूसरी ओर विश्लेषक मानते हैं कि कार्नी की प्राथमिकता भारत जैसे शक्तिशाली और प्रभावशाली साझेदार से संबंध बनाए रखना है।G7 जैसे मंच पर भारत की उपस्थिति वैश्विक मामलों में उसकी बढ़ती भूमिका को दर्शाती है। भारत, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक दक्षिण की आवाज और डिजिटल अर्थव्यवस्था में अग्रणी भागीदार बन चुका है।

मोदी की विदेश नीति की मजबूती का संकेत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का G7 में शामिल होना न केवल भारत की वैश्विक स्वीकार्यता को दिखाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत आज उन देशों की सूची में शामिल है, जिनकी भागीदारी के बिना अंतरराष्ट्रीय चर्चा अधूरी मानी जाती है।यह निमंत्रण भारत की सुदृढ़ विदेश नीति और वैश्विक मंचों पर उसकी सक्रिय भूमिका का प्रमाण है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि कनाडा जैसे देश भी अपने कूटनीतिक हितों के चलते भारत के साथ रिश्ते टूटने नहीं देना चाहते।

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