Chardham Yatra 2025: उत्तराखंड में इस वर्ष की चारधाम यात्रा ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। अब तक लगभग 32 लाख श्रद्धालु चारधाम यात्रा में हिस्सा ले चुके हैं, जो राज्य के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे पवित्र स्थलों की ओर तीर्थयात्रियों का रुझान लगातार बढ़ रहा है।
राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 44 लाख से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। इनमें यमुनोत्री के लिए 7,13,456, गंगोत्री के लिए 7,80,554, केदारनाथ के लिए 14,43,513, बद्रीनाथ के लिए 13,36,923 और हेमकुंड साहिब के लिए 1,69,180 श्रद्धालुओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
आर्थिक दृष्टिकोण से राज्य को मिल रहा लाभ
तीर्थयात्रा के बढ़ते रुझान से न केवल धार्मिक महत्व बढ़ा है बल्कि इससे राज्य की आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आई है। श्रद्धालुओं की बढ़ती आवाजाही से चारधाम यात्रा मार्ग के आसपास के क्षेत्रों में होटल, रेस्टोरेंट, दुकानें, परिवहन और अन्य सेवाएं सक्रिय हो गई हैं। इससे स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार हो रहा है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वयं इस पहल की अगुवाई करते हुए अन्य तीर्थ स्थलों के प्रचार-प्रसार पर बल दिया है, जिससे वहां भी पर्यटकों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है।
अन्य तीर्थ स्थलों पर भी बढ़ी श्रद्धालुओं की भीड़
चारधाम के अतिरिक्त कार्तिकेय स्वामी मंदिर (रुद्रप्रयाग) और जगन्नाथ मंदिर (उत्तरकाशी) जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों पर भी इस बार तीर्थयात्रियों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी देखी गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले वर्ष करीब 4 लाख तीर्थयात्री कार्तिकेय स्वामी मंदिर पहुंचे थे, वहीं इस वर्ष यह संख्या और अधिक होने की उम्मीद है।उत्तरकाशी स्थित जगन्नाथ मंदिर में अब तक 25,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इससे यह स्पष्ट है कि अब चारधाम यात्रा का प्रभाव अन्य स्थलों तक भी फैलने लगा है।
मुख्यमंत्री ने तीर्थ पर्यटन को बताया विकास का माध्यम
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड के समग्र विकास के लिए तीर्थाटन और पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड देवभूमि है, यहां हर देवालय का अपना महत्व है। हमारी सरकार इन स्थलों पर बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।”